Even after the strict warning from the Indian side against the meeting of Pakistani Govt. with the separatist group Hurriyat's leaders alongside the NSA Level talks; defiant Pakistan continued to do whatever possible to make India cancel the talks and earn a brownie point in their fake International Diplomacy. (Though we believe that the matter of Terrorism, ceasefire violations and infiltration needs to be handled on ground with appropriate military action; but we also know that diplomacy should also proceed in it's own merit.)
On this, +Ministry of External Affairs, India spokesperson, Vikas Swarup issued a strict advisory to Pakistan against meeting with the separatist Hurriyat leaders from +Jammu & Kashmir. Link to the Media Video
Paksitan's MEA and NSA Sartaj Ajiz called a press conference and reiterated that Pakistan wants to include Kashmir in the talks and would meet Hurriyat leaders.
You can watch him in the following video:
To these points India's MEA Sushma Swaraj sent a stern and apt reply which every Indian should know and understand.
First she clarified the meaning of so called "Dialog" and stated that this scheduled meeting between the two NSAs is neither the Composite Dialog or the Resumed Dialog that started between India and Pakistan in 1998.
Rather, it is a meeting to proceed in the direction to enable the two countries to resume that Resumed Dialog.
She clearly mentioned that to resume the Composite Dialog which includes the topic of Jammu & Kashmir among the other topics, we have to first talk on Terrorism, Ceasefire violations and the issues that are obstructing the regular dialog process. This NSA Level, DG BSF & DG Pakistan Rangers, and DGMOs talks is a step in that direction.
But it takes a sensible person, entity, Nation or leadership to understand this.
In her own words,
- भारत और पाकिस्तान के बीच में होने वाली हर बातचीत को वार्ता नहीं कहा जा सकता|
- ... उस Composite Dialogue को ही हिंदी में वार्ता कहते हैं । बाकी जो भी बातचीत होती है वो साधारण बातचीत है ।
- (1998 में) ये पहला Composite Dialog था जिसमें यह शब्द आया जो बार बार सरताज़ अज़ीज साहब कह रहे हैं, All Outstanding Issues including Jammu & Kashmir ।
- 2010 में वापस इसको (Composite Dialog) बहाल करने की बात की गयी और इसका नाम बदल कर Resumed Dialog रख दिया गया ।
- लेकिन 2012 में जब सीमा पे फायरिंग हुई और beheading की घटना हुई, हेमराज जो हमारे सैनिक थे उसका सर गया, और उस समय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी का बयान आया, 'There cannot be a Business as usual with Pakistan', तो यह प्रक्रिया रुक गई ।
- उफ़ा में जब प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ और प्रधानमंत्री +Narendra Modi मिले, तो Composite Dialog या Resumed Dialog की बहाली नहीं हुई... जो बार बार कह रहे हैं सरताज़ साहब कि On all outstanding issues including Jammu & Kashmir.
On all outstanding issues [के बारे में] यह कहा गया की we are prepared for that, वो preamble में रखा गया । लेकिन एक Operative Part उफ़ा का बना । [Read it here]. - हम बार बार कहते हैं की Terror and Talks can't go together, आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते । और हम यह भी कहते हैं कि कोई भी सार्थक बातचीत आतंक और हिंसा से मुक्त वातावरण में ही हो सकती है । A productive dialog can take place in an environment free from Terror and Violence... तो दोनों प्रधानमंत्रियों के बेच यह सहमति बनी के क्यों न हम पहले आतंक और हिंसा के संदर्भ में ही बात कर लें। यानि Terror और Talks को de-link किया गया।
- और उफ़ा में यह सहमति बनी के हम एक बातचीत आतंक पर कर लेते हैं और एक बातचीत सीमा पर शांति के लिए कर लेते हैं । तो आप देखेंगे के Composite Dialog में जो स्तर था Counter Terrorism का वो Home Secretary level था। उस स्तर को बढ़ाया गया।
- ये बात मौखिक नहीं हुई थी, ये बात लखित में हुई थी ।
- तीन मीटिंग इसमें तय हुई और वो तीन मीटिंग में से
एक मीटिंग थी NSA स्तर की - जो आतंकवाद पे होनी थी
एक मीटिंग थी DG-BSF और [DG-]Pakistan Rangers की - जो सीमा पर शांति के लिए होनी थी
और एक मीटिंग थी DGMOs की - जो Ceasefire Violations के सन्दर्भ में होनी थी - ये तीनो चीज़ें इतनी क्लियर थी, दोनों ने सहमति दी और दोनों विदेश सचिवों ने पढ़कर सुनाई।
- भारत की तरफ से 23 July को खत चला गया, उसका जवाब कब आया आप जानते हैं - 14 अगस्त को। आज से 8 दिन पहले। हमने एक महीने का नोटिस दिया, वो 22 दिन तक उसको लेकर बैठे रहे।
- DGMOs की तारीख़ आज तक नहीं आई। DG-BSF की मीटिंग की तारीख़ NSA की मीटिंग के बाद की दी - 6 सितम्बर की।
- तीनों मीटिंग्स न हो इसकी बुनियाद उन्होंने रख दी।
- मित्रों दबाव हम पर काम नहीं था क्यूंकि उन्होंने जाने के बाद [उफ़ा से] आतंक का रास्ता छोड़ने के, उस आतंक को गहराया।
उफ़ा से लेके अब तक 91 बार Ceasefire Violation हुआ है।
केवल वो संघर्ष विराम के उल्लंघन तक नहीं रुके, 27 जुलाई को गुरदासपुर घटा। [Read about it here]
एक सप्ताह के अंदर ही उधमपुर घटा जिसमें हमारे BSF के जवान भी मारे गए और एक आतंकवादी इनका ज़िंदा पकड़ा गया। [Read about it here] - ये घटनाएं कारण बन रही है, और भी ज्यादा प्रासंगिक बन रही हैं के ये टॉक्स होनी चाहिए। हमने घर का हर दबाव झेला। हर राजनीतिक दल का दबाव झेला।
- पर ultimately इन्होने एजेंडा जब हमारे पास व्यापक करके भेजा तब हमने इनको 18 तारीख़ को जवाब दिया और कहा कि देखिये आपने जो हमें कहा हैं के आतंकवाद के अलावा सो सारी बातें आपने Composite Dialog वाली कह दी; [लेकिन] यह जो मीटिंग NSA के स्तर पे होनी है, ये आतंकवाद पे ही होगी। इसमें कोई दूसरा विषय नहीं जुड़ सकता।
- भारत वो माहौल बनाना चाहता है जिसमें वो [Composite Dialog वाली] बातचीत हो सके। और उफ़ा में जो हुआ मित्रों, वो Resumed Dialog को बहाल करने के लिए नहीं हुआ, Composit Dialog को बहाल करने के लिए नहीं हुआ, बल्कि Composit Dialog जो बाद में Resumed Dialog के नाम से जाना जाता है, उसको शुरू करने का माहौल बने, इसलिए हुआ।
- जितने विषय आज Pakistan कह रहा है, All outstanding issues including Jammu & Kashmir, उन सब पर बात होगी। लेकिन कब होगी, जब पहले आतंकवाद और हिंसा समाप्त होगी। और आतंकवाद और हिंसा समाप्त हो, इसके लिए ये बातचीत तय की गयी है।
- अब इस बातचीत को ही ख़त्म कर दो, इस बातचीत में ही मत आओ, उसके दायरे को बड़ा कर दो, फिर हुर्रियत को stakeholder मानो, मित्रों कोई शिमला के समझौते की spirit भी है। दोनों देश हस्ताक्षरी हैं उसपर। जिसमें हमने यह कहा है कि जब भी भारत और पाकिस्तान के बीच में वार्ता होगी, मैं वार्ता शब्त इस्तेमाल कर रही हूँ, तो केवल भारत और पाकिस्तान दो देशों के बीच में होगी। ना कोई तीसरी पार्टी ना कोई तीसरा व्यक्ति उसमें मध्यहस्ता करेगा, ना भागिदार होगा।
- उफ़ा की spirit का सम्मान करते हुए आप बातचीत का दायरा आतंकवाद से आगे मत ले जाइये और आप आना चाहते हैं तो ये दोनों बातें मैं आपसे कहती हूँ, आप तीसरे को पक्षकार मत बनाइये - भारत और पाकिस्तान के बीच में बातचीत होनी चाहिए - और आतंकवाद से आगे दायरा मत बढाइये, आपका स्वागत है।
- Composite Dialog के issues NSA Level पे तय नहीं हो सकते।
- उफ़ा की सहमति बिलकुल एक अलग सहमति है और दोनों चुने हुए प्रधानमंत्रिओं के बीच में बनी है।
- Terror and Talks नहीं हो सकते पर Talk on Terror तो desirable है।
- मैं आज भी कह रही हूँ के आप तीसरे पक्ष को पक्षकार मत बनाइए, बात भारत और पाकिस्तान के बीच में कीजिये और आतंकवाद से आगे इस बातचीत का दायरा मत ले जाइये। केवल आतंकवाद पे बात करने आइये, आपका स्वागत है।
Don't miss the video below:
Pakistan was not able to understand what they have signed in Ufa and they had to cancel the talks later to have a better understanding on it.
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