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Saturday, April 14, 2012

बुराई को वहीँ रोक दो


अक्सर हम कुछ ऐसा देखते, सुनते या महसूस करते हैं जो कि हमें सही नहीं लगता | या तो हम उसे स्वीकार कर लेते हैं या फिर उसकी आलोचना करते हैं | आलोचना करके हम अपने मन की भड़ास तो निकाल लेते हैं पर क्या ये गलत को सही करने के लिए काफी है ? हम चाहते हैं की सब अपने आप ठीक हो जाये और शायद हमने अक्सर ऐसा ही देखा और सुना है, फिल्मों में, कहानियों में | उन में जब भी कुछ गलत होता है तो कोई हीरो आ के उसको ठीक कर देता है और हम खुश हो जाते हैं | असल ज़िन्दगी में भी हम चाहते हैं की कोई हीरो आये और गलत को ठीक कर दे पर problem यह है कि असल ज़िन्दगी कहानियों से थोड़ी अलग होती है | असल ज़िन्दगी में हम सब हीरो हैं और हम सभी को हीरो की भूमिका निभानी होती है |

हम सबकी एक छोटी सी uncomplicated दुनिया है जिसमें की हम चाहते हैं की सब कुछ परफेक्ट हो | अच्छा खाना मिले, बिजली पानी की कमी न हो, सडको में गड्ढ़े न हो, गली में कचरा न हो, दूधवाला दूध में पानी न मिलाये, राशन वाला मिर्ची में ईट का पाउडर न मिलाये, ड्राइविंग लाइसेंस बनाने जाएँ तो एजेंट को पैसे न देने पड़े, पासपोर्ट वेरीफीकेशन करने पुलिस वाला आये तो पैसे न खा के जाये | ऐसी छोटी और बहुत सी बड़ी चीजें हैं जो हमारे अन्यथा खुशहाल और सार्थक जीवन पर असर डालती है | हम चाहते हैं यह असर कम से कम हो और जहाँ हमें कुछ गलत लगे और हम आवाज़ उठाये तो हमारी आवाज़ सुनी जाये |



पर यह सब होने में थोड़ा समय और बहुत सारी मेहनत लगेगी | क्योंकि आज बुराई और अव्यवस्था हमारे समाज़ में इतनी गहराई तक उतर चुकी है कि उसे बाहर निकाल फ़ेकने में ज़ोर तो लगाना होगा | इतिहास गवाह है कि अगर मुट्ठी भर लोग एकाग्रचित्त होकर पूरी इच्छाशक्ति के साथ कुछ करने की ठान ले तो कुछ भी असंभव नहीं | आज बदलाव चाहने वालों की तादाद बुरे लोगों से कही ज्यादा है, तो अगर मुट्ठी भर लोग दुनिया बदल सकते हैं  तो हम सब मिलकर देश को तो आराम से सुधार सकते हैं |

तो जब भी हम कुछ बुरा होते देखें तो सिर्फ आलोचना न करें, उस बुराई को खत्म करने के लिए एक हाथ अपना भी बढ़ाएँ| Complain करें , आवाज़ उठाएँ, जागरूकता फैलाएँ, उसके पीछे पड़ जाएँ पर हरगिज़ चुप न बैठ जाएँ | जब बदलाव आएगा तो सबसे पहले गर्व से सीना हमारा ही चौड़ा होगा | जय हिंद |

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