सरे देश का मीडिया और Secularism के रक्षक बेचारे मोहन भागवत के ऊपर टूट पड़े है। जैसे उन्होंने कोई नया बयान दे दिया है या बहुत बड़ी बात बोल दी हो। वास्तव में मोहन भगवत ऐसे बयान देते रहे है और ये ही उनका काम भी है। जिस दल के वे सदस्य है वो ये सालो से करता आया है। शुरुवात सावरकर ने की थी (जो की RSS से जुड़े हुए नहीं थे) जब उन्होंने एक परचा बाटा था जिसमे हिन्दू की परिभाषा को चुनोती दी गयी थी। तब से आज तक ये सवाल कई बार उठता रहा है और उठता रहेग. क्यों? क्युकी idea cellular के विज्ञापन की तरह हम तब तक उल्लू बनते रहेंगे जब तक हम अपने अक्ल के परदे पीछे न कर दे।
जिन लोगों को पूरी बात मालूम नहीं है उनको में बता दू की हाल ही में मोहन भागवत के बयान आये जिसमे उन्होंने ऐसी बातें कही जो की कुछ लोगो को आपत्तिजनक लगी:-
जिन लोगों को पूरी बात मालूम नहीं है उनको में बता दू की हाल ही में मोहन भागवत के बयान आये जिसमे उन्होंने ऐसी बातें कही जो की कुछ लोगो को आपत्तिजनक लगी:-
- यह देश एक हिन्दू राष्ट्र है और हिंदुत्व इसकी पहचान है
- इस देश में रहने वाले सभी लोगो की पहचान हिन्दू है
- अमेरिका में रहने वाला अमेरिकन, जर्मनी में जर्मन तो हिंदुस्तान में रहने वाला हिन्दू क्यों नहीं?
- हिंदुत्व मतलब hinduism नहीं बल्कि hindu-ness है
आप भी सोच रहे होगे की इसमें क्या गलत है? अब इन्ही बातो को किसी minority लीडर के मुख से सुने तो ये कैसी लगेगी:
- भारत हिन्दू राष्ट्र नहीं है, भारत secular state है. और संविधान भी येही कहता है की हम भारतीय है और भारत हमारा देश है
- किसी मुस्लमान की पहचान हिन्दू शब्द कैसे हो सकता है
- इस देश का नाम भारत है और हम सब भारतीय है. अगर हिंदुस्तान देश का नाम रखना है तो हम हिंदुस्तानी क्यों नहीं? सिर्फ हिन्दू क्यों?
- हिंदुत्व का मतलब हिन्दू लोगो का मुसलमानों के ऊपर वर्चस्व बनाये रखने वाला आन्दोलन है
आपत्ति सिर्फ मुस्लमान minority के शुभचिंतक को हो रही है। बाकि सभी minorities जैसे सिख, christian को कोई परेशानी नहीं है।
इस पुरे विवाद में भागवत जी उल्लू बना रहे है और बाकी सब उल्लू बन रहे है। क्युकी वे हिन्दू शब्द के साथ खेल रहे है। वे जब चाहे हिन्दू शब्द को धर्म से जोड़ देते है और जब चाहे उसे संस्कृति की परिभाषा दे देते है। शब्दों से खेलना भी एक कला है! ऐसा करने से उनका उल्लू तो सीधा हो जाता है मगर बेचारे 'भोले-भाले' लोग बहक जाते है और दंगा फसाद हो जाता है। अब इसमें भागवत जी की क्या गलती!
भारत | नेपाल | भारत | सऊदी अरब | |
धर्म | सनातन | सनातन | मुस्लमान | मुस्लमान |
संस्कृति | हिन्दू | नेपाली | हिन्दू | अरबी (Saudi) |
नागरिकता | भारतीय | नेपाली | भारतीय | अरबी (Saudi) |
हमे चाहिए की हम हिन्दू शब्द के मतलब को समझे। हिन्दू कोई धर्म नहीं है बल्कि संस्कृति है। जो लोग वेद पुराण को मानते है वो लोग सनातन धर्म के अनुयायी है ठीक वैसे ही जैसे कुरान को मानने वाले मुसल्मान। परन्तु भारत में रहने वाला हिन्दू नेपाल में रहने वाले हिन्दू से सांस्कृतिक रूप से अलग है ठीक वैसे ही जैसे भारत में रहने वाला मुसलमान अरब देशो वाले मुस्लमान से।
हमे हिन्दू शब्द को बाँटने वाली नज़रो से नहीं जोड़ने वाली नज़रो से देखना होगा और इसे निःसंकोच अपनाना होगा। इसीमें देश हित है।
आओ गर्व से कहे हम हिन्दू है
(सांस्कृतिक रूप से)
bhut acchi post hai. Hame garv se bolna chaliye ki ham bhartiye hai.
ReplyDeletemaza aaya post phad ke
http://techanicaldost.com